बुधवार, 5 जून 2013

कई रूपों से सुसज्जित यह बंजारा मन, एक बार फिर अपने नए आयाम में .... " मेरा मन "

कोयलिया सी कूक लिए,   
दिग्भ्रमित मोरनी चंचल बाला । 
उमड़ घुमड़ बदरा सी फिरती,
जैसे महताब शोख झलकाला  ॥ 

- निवेदिता दिनकर