गुरुवार, 15 जनवरी 2015

स्पर्श





एक अजीब सा रूहानी रूमानी एहसास।
दबी दबी ढकी ढकी।
सड़को पर चलते आहटों की आवाज़।
दूर जलती मद्धिम रौशनी। 
बारिश की बूंदो से 
उजली चमकती पत्तियाँ … 
और 

स्पर्श करते उष्ण हाथ।

- निवेदिता दिनकर 
 १४/०१/२०१५ 

तस्वीरों  को आज शाम क़ैद करते वक़्त मन को स्पर्श करते कुछ यूँ ख्याल  … 
लोकेशन - मेरे घर के सामने   


6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (16.01.2015) को "अजनबी देश" (चर्चा अंक-1860)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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    1. बहुत शुक्रिया राजेंद्र जी ... उत्साह वर्धन के लिए|

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  2. बहुत सुन्दर
    मकरसंक्रान्ति की शुभकामनायें

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    1. दिली शुक्रिया Pratibha जी एवं शुभकामनाये आपके आने वाले हर दिन के लिए ... :)

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