बुधवार, 20 सितंबर 2017

प्रेम


পাগলা হাওয়া 
মাটির ছোঁয়া ... 
রজনীগন্ধার স্নিগ্ধ  সুগন্ধ 
চাঁদের বোনা ... 
আঁচলে নদী 
মুঠিতে আকাশ  ... 

শুনছো,

 হৃদয়ে একটি প্রেম কাহিনী ভাসছে  ... 

-  নিবেদিতা দিনকর  
    18 /09 /2017 

उन्मादी हवा 
मिटटी में लिपटी  ... 
रजनीगन्ध की भीनी सुगंध 
चाँद का बुना ... 
आँचल में नदी 
मुठ्ठी में आसमान 

सुन रहे हो,
 मर्म में एक प्रेम कहानी तैर रही है  ... 

- निवेदिता दिनकर 
  १८/०९/२०१७ 

प्रिय मित्रों, 
अपनी मातृभाषा बांग्ला में लिखने की कोशिश किया है और साथ में हिंदी में अनुवाद भी | आशा है, आप अपनी टिप्पणियों से मुझे उत्साह और न्याय देते रहेंगे | 

आपकी मित्र 

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